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बेटी ईश्वर की देन है

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वर्तमान युग में आम जनता व पैरेंट्स पहल कर रहे हैं कि बेटियों को बेटों के बराबर ही दर्ज मिले, उसे किसी से कम नहीं समझे। उन पेरेन्ट्स से प्रेरणा लें जिनकी जिन्दगी उनकी बेटियों से ही रोशन है वे परिवार यह समझ रहे हैं कि बेटियां ही उनका संसार हैं। बेटियां तो हमेशा फूल के समान हैं वह हमारे घर आंगन को महकाती हैं।

घर का चिराग हैं बेटियाँ - अधिकतर माता-पिता बेटियों को घर का चिराग मानते हैं। लड़कों से हर कदम में अभी लड़कियां हावी होती जा रही हैं। वे अब किसी से काम नहीं है। हर फिल्ड में लड़कियां आगे बढ़ चुकी हैं एवं बढ़ रही हैं और अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। बेटियां किस्मत वालों के घर में होती हैं, ईश्वर का अमूल्य तोहफा होती हैं, बेटियां/बेटियां होने से अपने आप पर गर्व है।

बेटियां सुख समृद्धि सूचक हैं - बेटियां घर की तकदीर बदल देती हैं। ये तो हमारे सुख और समृद्धि का सूचक है। घर में बेटी का होना बहुत आवश्यक है। बेटी का होना गर्व की बात है। ये हमेशा अपने माता-पिता का ख्याल रखती हैं। माता-पिता को चाहिए कि बेटा-बेटी में कभी फर्क नहीं करना चाहिए। जिस प्रकार लड़कों को आगे बढ़ने दिया जाता है उसी प्रकार लड़कियों को भी उनके सपने पुरे करने का मौका देना चाहिए एवं उनकी योग्यता को दिखाने का अवसर देना चाहिए।

बेटियां वंशलिका हैं - बेटियों से ही वंश बढ़ता है। ये एक साथ दो कुल का सम्मान बढाती हैं। शादी के बाद भी बेटियां ही वंश का नाम रोशन करेंगी। उनकी एक हंसी स्वर्ग की प्राप्ति जैसा आनन्द प्राप्त होती है। कई माता-पिता की कामना है कि हमारे लिए हमारी बेटियां सबसे बढ़कर है। बेटियां हमेशा बेटों से बढ़कर खुशियां देती हैं। आज के समय में तो बेटे भी पराये हैं वो भी जॉब करने बाहर चले गये या जाते हैं और पराये हो जाते हैं। इसलिए लड़कियों को पराया नहीं समझना चाहिए बल्कि वो एक नये घर में जाकर उस परिवार के वंश को और आगे ले जाती हैं। यानि ये के साथ दो कुल (वंश) का सम्मान बढाती हैं।

कन्या भ्रूणहत्या की सजा देना - समाज में कन्या भ्रूणहत्या नहीं होना चाहिए ऐसा करना घोर पाप व अपराध है। समाज को ऐसा करने वाले के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। ऐसा करना जघन्य अपराध है। बेटी के रूप में लक्ष्मी घर में आती हैं, ऐसे करने वालों के खिलाफ सरकार के द्वारा सख्त सजा मिलनी चाहिए। भ्रूणहत्या के अपराधी माता-पिता बेटी के रूप में आने वाली लक्ष्मी को वे स्वयं ही रोक देते हैं। असल में वे लोग अपने ही हाथों से अपनी सुख-समृद्धि का द्वार बन्द कर देते हैं। बेटियां अपने माता-पिता के सबसे ज्यादा करीब होती है तथा सदैव अपने कार्यों से व विचारों से उनका मस्तक ऊँचा उठाती हैं। कई एक माता-पिता या परिवारों में तो घर-घर कन्या की पूजा की जाती है तथा ७ कन्याओं को जिमाते हैं, तिलक करते हैं तथा उनको गिफ्ट देकर प्रसन्न करते हैं तथा वे परिवार संतुष्टि प्राप्त करते हैं।