दूरी को निकट लाने के प्रयास में हम सफल हो गये हैं। संचार व आवागमन के साधनों के आधुनिक यन्त्रों ने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक गांव में परिवर्तित कर दिया है। लेकिन प्रकृति के सिद्धान्त ‘काज एण्ड एफेक्ट’ के तहत हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है और हमारी इस क्रिया की प्रतिक्रिया यह हुई कि रिश्तों में दूरियाँ बढ़ गई हैं। दादा-दादी से दूर हो रहे हैं पोता-पोती। चाचा-भतीते तथा मामा-भांजे के रिश्ते लुप्त हो चले हैं। अपनत्व में कमी आ रही है। परम्पराओं तथा रिश्तों को निभाना हमारी सहुलियत पर निर्भर करता है। घर के बड़े-बुजुर्गों का दुलार बच्चों को नसीब नहीं हो रहा है। दादा-दादी की कहानियाँ व नसीहत प्राप्त नहीं हो रही है। बढ़ते भौतिकवाद व बाजारवाद के चलते हमारे सम्बन्ध स्वार्थ प्रेरक बनते जा रहे हैं। हम हर सम्बन्ध को स्वार्थ की धुरी (उपयोगिता) पर तोलते हैं, जिसके कारण प्रेम व वात्सल्य की मिठास घट रही है। भौतिक सुख की चाह में रिश्ते सिकुड़ने लगे हैं। अभी हाल ही में एक बहू ने 15 करोड़ का फ्लेट हथियाने के लिए अपनी सास व ननद की सुपारी अपने नौकर को देकर सास की हत्या करवा दी।
पूञ्जी कमाने व आधुनिक सुख साधन जुटाने के फेर में हम हमारी असली पूञ्जी हमारी सन्तानों से विमुख होते जा रहे हैं। इनमें संस्कार डालने की फुरसत हमारे पास नहीं है, जिससे उनकी नींव कमजोर रह जाती है। उनके आत्मबल व आत्मबोध में जरूरी दृढ़ता नहीं आ पाती।
आज आवश्यकता है कि हम वास्तविकता को समझें और अपनी असली सम्पत्ति घर-परिवार पर ध्यान केन्द्रित करें तथा सन्तानों में अच्छे संस्कार बोयें। उन्हें अपनी परम्पराओं तथा घर के संस्कारों से अवगत करायें और अर्थ की उपयोगिता के साथ-साथ रिश्तों की अहमियतता को भी समझायें। भारतीय दर्शनशास्त्र तथा हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों के बारे में जानकारी दें, ताकि बच्चों को यह मालूम हो सके कि हमारा कौन सा वर्ष, महिना तथा तिथि चल रही है और शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष क्या है आदि, ताकि परिवार में सामंजस्य बना रहे और एक-दूसरे के साथ सरोकार भी बना रहे तथा हम एक यथार्थ जीवन जी सकें।
है अयोध्या, स्नेह है समता जहाँ है
है जहाँ अन्याय, भय, लंका वहाँ है। - प्रस्तुतिः विश्वशान्ति टेकड़ीवाल परिवार
Loss of Love and Vatsalya | Materialism | Marketism | Successful Life | Mother in law | Darker Fortnight | Black Side | Affectionate Relationship | Tolerance | Modesty | Contentment | Dicipline | Life Companion | Divyayug | Divya Yug