एक छोटा बच्चा अपने माता-पिता के साथ अपने आरामदेय घर में बैठा था। वह अपनी माँ से बोला- “माँ! आपका चेहरा दुनिया में सबसे दयालु व सुन्दर है। दिल चाहता है कि मैं इसे हमेशा देखता रहूँ।’’
जैसे ही वह ये शब्द बोल रहा था, उसकी नजर अपनी माँ के हाथों पर पड़ी। वे मुड़े हुए और बड़े कुरूप थे। वह बोल उठा- “माँ! आपके हाथ दुनिया में सबसे कुरूप हाथ होंगे। मैं उनकी तरफ देख भी नहीं सकता।’’
इस पर पिता ने बेटे को अपनी गोद में बैठाया और कोमलता से बोला- “मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। एक समय की बात है कि एक नन्हा बच्चा अपने पालने में शान्तिपूर्वक सोया हुआ था कि पालने को आग लग गई।’’
लड़के ने पूछा- “बच्चे का क्या हुआ?’’ “बच्चे की देखभाल के लिए जो आया रखी थी, वह डरकर भाग गई’’, पिता ने बात जारी रखी, “लेकिन माँ ने आग देख ली और बच्चे को बचाने दौड़ी। उसने देखा कि बच्चे के चारों ओर आग इतनी फैल चुकी थी कि बच्चे को घायल हुए बिना उठाना असम्भव था। उसने हाथों से ही आग बुझाई। उसके हाथ बुरी तरह जल गये। उन्हें ठीक होने में कई महीने लग गये। पर उन पर दाग फिर भी रह गये।’’
छोटा बच्चा चहक उठा- “कितनी बहादुर माँ होगी!’’
पिता ने कहा- “जानते हो वह कौन थी? वह तुम्हारी माँ थी। उसके कुरूप हाथों ने ही तुम्हें बचाया था।’’
यह सुन बच्चे की आँखों में आँसुओं की धारा फूट पड़ी। वह अपनी माँ की तरफ मुड़ा और बार-बार उसके हाथ चूमने लगा। वह रोते हुए बोला- “माँ, यह दुनिया के सबसे सुन्दर हाथ हैं।’’ - प्रस्तुतिः वरुण
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