एक रामायण विशारद रामचरित मानस के पात्रों की चर्चा करते हुए कह रहे थे कि मानस के प्रत्येक पात्र के नाम का एक अर्थ है और उस अर्थ का मानव समाज और मानव कल्याण से गहरा सम्बन्ध है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि दशरथ वह व्यक्ति है जो अपनी दसों इन्द्रियों के रथ पर आरूढ़ हो सके तथा उन पर नियन्त्रण रख सके अर्थात् जो जितेन्द्रिय हो वही दशरथ हो सकता है।
आज हर व्यक्ति की कामना यही होती है कि उसका पुत्र राम जैसा हो। परन्तु यह कोई नहीं सोचता कि राम जैसा पुत्र उसी पिता का हो सकता है जो स्वयं दशरथ जैसा जितेन्द्रिय हो। - कु. भावना
Who is Dashrath | Ramayan | Lord Ram | Dashrath | Creed | Worship | Sanatan | Mandir | Prachin Itihas |