कवि कुंभनदासजी ने कहा था- सन्तन को कहा सीकरी सों काम, आवत जात पन्हैयां घिस गईं, बिसर गयो हरि नाम। संत कवि का सीकरी से तात्पर्य सत्ता से है। यूं तो संतों का जीवन ही लोक कल्याण के लिए ही होता है, लेकिन आज के दौर में संत-महंत मठों और आश्रमों से बाहर निकलकर प्रत्यक्ष रूप से जनता की सेवा में लगे हैं। इन्हीं में से एक हैं आर्य समाज के संन्यासी और राजस्थान की सीकर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती। भाजपा ने एक बार फिर उन्हें सीकर से उम्मीदवार बनाया है। देश की वर्तमान राजनीति और अन्य मुद्दों पर जब ‘दिव्ययुग’ के लिए स्वामी जी से बातचीत की गई तो उन्होंने सभी मुद्दों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं स्वामी सुमेधानन्द जी से बातचीत के मुख्य अंश-
सवर्ण आरक्षण - आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक और गैरजरूरी बताने के मुद्दे पर स्वामी सुमेधानन्द जी कहते हैं कि अब तक संविधान में करीब 123 संशोधन हो चुके हैं, जो कि विशेष निमित्त और उद्देश्य को लेकर हुए हैं। अत: यह कहना कि यह असंवैधानिक है, कतई उचित नहीं है। वे कहते हैं कि निश्चित ही सरकारी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या सीमित है, लेकिन जितनी नौकरियां हैं उनमें तो सवर्ण वर्ग के 10 फीसदी लोगों को लाभ मिलेगा। उन्हें उच्च शिक्षा में भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। जब 52 फीसदी ओबीसी के लोग 27 फीसदी आरक्षण में लाभ उठा रहे हैं तो गरीब सवर्ण 10 फीसदी आरक्षण में लाभ क्यों नहीं उठा सकते? राजस्थान में तो कांग्रेस सरकार गुर्जरों को एक फीसदी आरक्षण देकर ही वाहवाही लूट रही है।
तीन राज्यों में भाजपा की हार - मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार पर स्वामी जी कहते हैं कि कांग्रेस ने 60 साल तक देशवासियों को धोखा देकर राज किया है। विधानसभा चुनाव में भी किसान राहुल गांधी के झांसे में आ गए और उन्होंने भावुकता में कांग्रेस को वोट दे दिया। कांग्रेस ने किसानों के सभी तरह के कर्ज माफ करने की बात कही थी, तीन महीने बाद भी वह इस संबंध में कोई योजना नहीं दे पाई। विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में एक फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं, जबकि राजस्थान में भी दोनों के बीच वोटों में ज्यादा अंतर नहीं है। मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों ही जगह कांग्रेस अल्पमत सरकार चला रही है। छत्तीसगढ़ में जरूर भाजपा की हार हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसकी पूर्ति हो जाएगी। क्योंकि किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। एससीएसटी के लोग समझने लगे हैं कि भाजपा के साथ रहने में ही भलाई है। राजस्थान में गुर्जर समाज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। वैसे भी विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे होते हैं, जबकि लोकसभा का चुनाव प्रधानमन्त्री और उनकी नीतियों के आधार पर लड़ा जाता है। स्वामी जी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई नीतियां नहीं हैं। उनके पास प्रधानमन्त्री पद का कोई चेहरा भी नहीं है। ममता कहती हैं कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगी तथा मायावती और राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब बुन रहे हैं। जो विपक्ष के नेता दिल्ली में राहुल गांधी के साथ खड़े दिखाई देते हैं, वही कोलकाता में ममता के साथ खड़े दिखाई देते हैं। दरअसल, विपक्ष के पास कोई एक चेहरा नहीं है, जबकि हमारे पास नरेन्द्र मोदी जैसा चेहरा है। मोदी की नीति, नीयत और योजनाएं देश हित में हैं। मतदाता नासमझ नहीं है, वह इनकी बातों में नहीं आएगा। वह पहले भी वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल की अल्पमत और खिचड़ी सरकारों को देख चुका है। अल्पमत की सरकार से देश को फिर चुनाव झेलना पड़ेगा और उससे आर्थिक नुकसान भी होगा। इससे देश अस्थिर होगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है। मतदाता भावुक जरूर है, लेकिन जब देश की स्थिरता और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा होता है तो वह पूरी गंभीरता से काम लेता है।
अयोध्या में राम मन्दिर - भाजपा का संकल्प है कि अयोध्या में भव्य राम मन्दिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं होने कारण अध्यादेश से भी बात नहीं बनती। अत: मन्दिर जैसे संवेदनशील मुद्दे को बचपने में उछालना गम्भीरता नहीं है। यदि राज्यसभा में बहुमत होता तो निश्चित रूप से हम मन्दिर निर्माण के लिए अध्यादेश या विधेयक लाते। अब मन्दिर निर्माण का काम समय, काल और परिस्थिति को देखकर ही होगा।
राहुल गांधी का गोत्र - स्वामी सुमेधानन्द जी कहते हैं कि जो पार्टी पाठ्यपुस्तकों में राम और कृष्ण को काल्पनिक पात्र बताती रही है, अब उसके मुखिया राम और शिव की बात करते हैं और मन्दिर-मन्दिर जाकर माथा टेक रहे हैं। वे कहते हैं कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का भारतीय संस्कृति के प्रति न तो अध्ययन है और न ही चिंतन है। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व ही पार्टी का मार्गदर्शन करता है। जहाँ तक हिन्दुत्व की बात है तो राहुल गांधी जी ने कहा कि वे ब्राह्मण हैं, उनका जनेऊ भी दिखाया गया था। राहुल और प्रियंका गांधी जब छोटे थे, तब पोप जॉन पॉल को बुलाकर उन्हें ईसाई धर्म में दीक्षित किया गया था। उस समय स्वामी आनन्दबोध जी के नेतृत्व में आर्य समाज और विश्व हिन्दू परिषद ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध किया था। दूसरी बात इनके दादा जी पारसी थे और माँ ईसाई हैं। हिन्दू संस्कृति में गोत्र पिता का चलता है। पारसियों और ईसाइयों में तो गोत्र परम्परा ही नहीं है। यदि वे जनेऊधारी हिन्दू हैं तो देशवासियों को बताएं कि उन्होंने कब यज्ञोपवीत संस्कार करवाया था। यह सिर्फ वोटों की राजनीति है, लोगों को भ्रमित करने के लिए नौटंकी है। इस तरह के ढोंग बार-बार नहीं चलते।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाएं- स्वामी जी कहते हैं कि वर्तमान में भाजपा की जितनी लोकसभा सीटें हैं, आगामी लोकसभा चुनाव में उससे ज्यादा सीटें ही मिलेंगी। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ आदि राज्यों में नुकसान होगा, ऐसा मानने वालों का मिथक भी टूट जाएगा। कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है, लेकिन इसकी पूर्ति दक्षिण, पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों से हो जाएगी।
धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण - धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण की बात पर स्वामी जी कहते हैं कि आरक्षण का मूल ही पिछड़ापन और अस्पृश्यता है और दूसरे धर्म के लोग छुआछूत को नहीं मानते। अत: धर्म बदलने के साथ ही व्यक्ति की आरक्षण की पात्रता भी समाप्त हो जाना चाहिए। दरअसल, लोग धर्म तो बदल लेते हैं, लेकिन कागजों में वे हिन्दू ही बने रहते हैं और आरक्षण का लाभ लेते रहते हैं। इस पर कानून बनना चाहिए ताकि लोग आरक्षण का गलत फायदा न उठाएं और सही व्यक्तियों को इसका लाभ मिले।
क्या मोदी जी अहंकारी हैं? स्वामी जी कहते हैं कि लोगों ने मोदी जी को समझा ही नहीं है। मोदी जी जितना विनम्र व्यक्ति शायद ही कोई देखने को मिलेगा। मोदी को कितनी ही बार अपमानिता करने की कोशिश की गई, गालियां दी गईं। वे सहते रहे। हालांकि विरोधियों को जरूर वे अपनी शैली में जवाब देते हैं, चाहे वह विदेशी हो या देशी। विनम्रता और कायरता में अन्तर है। वे डरपोक नहीं हैं।
शिक्षा व्यवस्था में बदलाव - केन्द्र सरकार की मानव संसाधन समिति के सदस्य स्वामी सुमेधानन्द जी कहते हैं कि हमने शिक्षा में सुधार के लिए कई काम किए हैं। कांग्रेस शिक्षा में भगवाकरण के आरोप लगाती है, लेकिन हम चरित्र निर्माण की बात करते हैं। केन्द्र सरकार की मंशा है कि देश के विश्वविद्यालयों की गिनती दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में हो। शिक्षा को लेकर सरकार ने काफी काम किए हैं और कर भी रही है।
चंद्रबाबू को अस्तित्व का खतरा - आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा एनडीए से दूरी बनाने के प्रश्न पर स्वामीजी कहते हैं कि दक्षिण में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से चंद्रबाबू नायडू डर गए हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा के बढ़ते प्रभाव से उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसी डर की वजह से नायडू ने भाजपा से दूरी बना ली।
पाकिस्तान में हिन्दुओं की बुरी स्थिति - स्वामी जी कहते हैं कि भारत के बंटवारे के समय पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री लियाकत अली के बीच समझौता हुआ था कि भारत में मुस्लिमों की और पाकिस्तान के हिन्दुओं की सुरक्षा का काम वहां की सरकारें करेंगी, लेकिन पाकिस्तान इस पर खतरा नहीं उतरा। पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ तो अन्याय हुआ ही, भारत से गए मुसलमान भी वहां खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पाकिस्तान में लोकतंत्र है ही नहीं, वहां पर सिर्फ कट्टहरपंथ का ही वजूद है। भारत सरकार ने एक विधेयक पारित किया है जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिन्दू, सिख, जैन और ईसाइयों को भारत की नागरिकता दी जाए।
भाजपा के लिये नेशन फर्स्ट - पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राईक को लेकर विपक्ष के सवालों के विषय में स्वामी जी ने कहा कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के लिये पार्टी की अहमियत राष्ट्र से ज्यादा है, जबकि भाजपा के लिये नेशन फर्स्ट है, पार्टी सेकण्ड है। व्यक्ति तो यहाँ तीसरे नम्बर पर आता है। सत्ता के लिये कुछ भी कह देना बिल्कुल भी सही नहीं है।
आपको वोट क्यों दे? सीकर संसदीय क्षेत्र का मतदाता आपको एक बार फिर वोट क्यों दे? इस सवाल के जवाब में स्वामी जी ने कहा कि वे अपने पाँच साल के कार्यकाल में प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष से 144 लोगों को करीब डेढ़ करोड़ रुपये की मदद दिलवा चुके है। प्रधानमन्त्री आवास योजना, मुद्रा योजना, जनधन योजना, बीमा योजना, सौभाग्य योजना, उज्ज्वला योजना एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से क्षेत्र के लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ हुआ है। इनके अलावा रेलमार्ग को गेज परिवर्तन और सड़कों का निर्माण भी हुआ है, जो कि जनता के सामने है।
राजनीतिक पैंतरेबाजी से दूर...
अपने स्कूल जीवन में कुश्ती के शौकीन और दांव-पेच में माहिर स्वामी सुमेधानन्द जी राजनीति के अखाड़े में पैंतरेबाजी से दूर हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य जनसेवा है। संसद में भी उन्होंने जनता से जुड़े मुद्दे पूरी ताकत से रखे। लोकसभा चुनाव 2014 में विरोधियों ने उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की थी, साथ ही उनके वाहन पर पथराव भी हुआ था, लेकिन स्वामी जी ने कोई जवाब नहीं दिया। चुनाव परिणाम के बाद विरोधियों के मुँह स्वतः ही बंद हो गए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को करीब 2 लाख 39 हजार वोटों से हराया था। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व अध्यक्ष स्वामी जी का सीकर के निकट पिपराली में वैदिक आश्रम हैं, जहां से वे गोरक्षा और योग के साथ ही वेदों का प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं। युवाओं में सामाजिक और नैतिक मूल्यों के पक्षधर स्वामी जी ने स्वामी सर्वानन्द जी महाराज से 1984 में संन्यास की दीक्षा ली थी। 1989 से वे भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं और राजस्थान में गत 35 वर्षों से सक्रिय हैं। स्वामी जी अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, मॉरीशस, रूस, स्विट्जरलैंड आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं।
जात न पूछो साधु की - संतों की कोई जाति नहीं होती, इसलिए सभी जाति और पन्थों के लोग स्वामी जी को पूरा सम्मान देते हैं। स्वामी जी सुमेधानन्द जी के लोकसभा क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने कहा कि भाई साहब! आज के दौर में नेता लोगों के पांव छूते हैं और पैसे भी देते हैं, लेकिन स्वामी जी का मामला उलट है। इनको तो लोग पांव छूकर पैसा देते हैं। आर्यसमाज की अन्तराष्ट्रीय सभा के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष होने के कारण स्वामी जी का प्रभाव ना सिर्फ उनके लोकसभा क्षेत्र बल्कि राजस्थान की सीमा से बाहर हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों में भी है, जो कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए लाभदायक हो सकता है। - वृजेन्द्रसिंह झाला
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