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पारिवारिक जीवन की धन्यता का रहस्य

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दूध ने पानी से कहा- बन्धु! किसी मित्र के अभाव में मुझे सूना-सूना अनुभव होता है। आओ, तुम्हीं को हृदय से लगाकर मित्र बनाऊँ।

पानी ने उत्तर दिया- भाई! तुम्हारी बात तो मुझे बहुत अच्छी लगी, पर यह विश्‍वास कैसे हो कि अग्नि परीक्षा के समय भी तुम मेरे साथ रहोगे। दूध ने पानी से कहा, विश्‍वास रखो! ऐसा ही होगा।

और दोनों में मित्रता हो गई। ऐसी मित्रता कि दोनों के स्वरूप को अलग करना कठिन हो गया।

अग्नि नित्य परीक्षा लेकर पानी को जला देती है पर दूध है कि हर बार मित्र की रक्षा के लिए अपने अस्तित्व की भी चिन्ता न करते हुए स्वयं जलने को प्रस्तुत हो जाता है।

अपने पारिवारिक जीवन में दूध की तरह जो परस्पर विश्‍वास रखते हैं, उन्हीं का जीवन धन्य है। (दिव्ययुग- अक्टूबर 2012)

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