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लोकपाल बिल से सौ गुना अधिक आवश्यक समान कानून संहिता बिल (2)

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Uniform Civil Code 0अन्याय और असत्य पर आधारित मुस्लिम लीग ने स्वार्थी गोरे नेताओं के सहयोग से देश के टुकड़े करवा दिए। सरदार पटेल जी के बार-बार मना करने पर भी पाकिस्तान में गए मात्र 15 प्रतिशत मुसलमानों हेतु भारत का तीस प्रतिशत भूभाग और पचपन करोड़ रुपये दे दिया गया। क्योंकि सात प्रतिशत मुसलमान गान्धी व नेहरू ने यहीं रोक लिये थे। जिसका आज परिणाम यह निकला है कि ये लोग पुनः बढ़कर अपने मजहब के आधार पर भारत के संविधान से पृथक कुरआनी शरीयत के आधार पर आतंकी जिहाद से अपना अधिकार मांग रहे हैं। यदि देश के स्वार्थी मुस्लिम वोट लोभी ‘नेता’ सरदार पटेल जी की न्याय-नीति मान लेते तो आज भारत एक बार टुकड़े होने पर पुनः पैंसठ वर्ष पश्‍चात अन्याय की आग में न जलता। 26 मई 1949 को संविधान पर हो रही एक गोष्ठी में कुछ मुसलमान नेताओं ने जब मुसलमान जनता हेतु विशेष आरक्षण अधिकार मांगा, तब गृहमन्त्री श्री सरदार पटेल जी ने दो टूक शब्दों में कहा कि “जिन मुसलमानों को ऐसे विशेष अधिकार चाहिएं वे पाकिस्तान चले जाएं। इसी छूट हेतु भारत का मूल्यवान हिस्सा काटकर उसे पाकिस्तान बनाया गया है।’‘ भरी सभा में तब मुसलमान या अन्य किसी कांग्रेसी नेता की चूं तक करने की भी हिम्मत न हुई। यदि कांग्रेसी नेताओं की ऐसी ही नीति आगे भी चलती तो आज मुसलमान नेता युनिवर्सल सिविल कोड (सामान्य न्याय संहिता) को मानने से कभी इन्कार न करते।

मुसलमान मौलवी और उनकी वोटों के भूखे नेता उच्चतम न्यायालय के निर्णय को ठुकराकर भारत के संविधान से विरूद्ध अनेकों राष्ट्रघातक सुविधायें प्राप्त कर रहे हैं। इन्हीं सुविधाओं का परिणाम है, भारत में बढ़ता कश्मीर विवाद, अलगाववाद व आतंकवाद। देश में शान्ति तथा एकता हेतु भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक हेतु समान कानून व उचित सुविधा की व्यवस्था करता है। परन्तु गान्धी तथा नेहरू द्वारा अपनाये गए मुसलमानों को वह स्वीकार नहीं है। आश्‍चर्य की बात यह है कि एक ओर तो मुस्लिम मजहबियों की संगठित वोट की ब्लैकमेलिंग से नेता उन्हें अरबों रुपया, अधिक बच्चे पैदा करने की छूट व अनेक सुविधायें तथा आतंकवाद की छूट देते हैं और दूसरी ओर वे मुसलमान अपराध करने पर कुरान के अनुसार हाथ-पैर व सर न कटवाकर तथा कोड़े न मरवाकर भारतीय संविधान के अनुसार दण्ड लेते हैं अर्थात् सुविधायें लेने में सच्चे मुस्लिम व दण्ड पाने में काफिर। इससे और अधिक बड़ा भ्रष्टाचार क्या होगा। यदि दण्ड पाने में पाप नहीं तो फिर समान कानून संहिता से एक बीवी, दो बच्चे व वन्देमातरम् में पाप क्यों?

हिन्दू हेतु एक पत्नी रखने व दो-तीन बच्चे पैदा करने का विधान, तो मुसलमानों को चार-चार पत्नियाँ रखकर बीस, पच्चीस व पचास बच्चे पैदा करके भारत की अर्थव्यस्था बिगाड़ने की छूट! गुड़गांव (हरियाणा) के समीप ग्राम में एक मुसलमान के पच्चीस बच्चे हैं और वह छाती तानकर हरियाणा रोड़वेज में ड्राईवर की नौकरी भी कर रहा है। मुसलमानों को भारत की नारियों को अपमानित करने हेतु बिना न्याय के तलाक की सुविधा एवं अल्पसंख्यक के नाम पर मिलने वाली अनेकों आर्थिक तथा सामाजिक सुविधायें, जिन्हें बंग्लादेश व पाकिस्तान से घुसपैठ करके आए हुए मुसलमान भी पाने हेतु यहाँ की संख्या को बढ़ाकर देश के युवाओं के अधिकार को छीनकर उन्हें बेरोजगार बना रहे हैं तथा आतंकवादियों को अपने यहाँ पनाह देकर इस्लाम हेतु आतंकवाद को बढ़ा रहे हैं।

क्योंकि कुरान मुसलमान को हिन्दुओं का वध करके उन्हें मुसलमान बनाने, उनकी औरतों के साथ बलात्कार करने, उनकी सम्पत्ति को लूटने तथा हिन्दुओं की लड़कियों को भगाने की खुली छूट देता है। (देखें, कुरान 4.56, 2.191, 5.33, 8.12-17, 9.5, 9.123, 47.4, 8.6, 4.24, 4.29 प्रकाशक- 307 डी, दावतनगर जामिया दिल्ली- 25, फोन 26911652)

अतः भारत की वर्तमान हालत पुनः 1946 व 1947 जैसी बन चुकी है। हिन्दुओं के मन्दिरों से प्राप्त धन जेहाद, कश्मीरियों, हजयात्रियों तथा वक्फबोर्ड के माध्यम से मदरसों के मौलवियों को देने के कारण और ‘मुस्लिम लीग’ के पुनः केन्द्र में आने के कारण मुस्लिम जेहादियों के हौसले और अधिक बढ़ चुके हैं।

मुरादाबाद, भिण्डी, अलीगढ़, लखनऊ तथा असम व केरल के विभिन्न नगरों में मुसलमान बहुसंख्यक होकर मनमाना अत्याचार कर रहे हैं। अनेकों लड़कियाँ सैक्स जिहाद से शरारती गुण्डों द्वारा भ्रष्ट की जा रही हैं। मुस्लिम वोटों को निरन्तर बढ़ाकर शरियत के अनुसार जब भारत का राज्य मुस्लिम लीगी जेहादियों के हाथ में होगा, तब यहाँ रहने वाले गुरु-वेद-देश-राम व गोभक्त हिन्दू कहाँ जाएंगे?

जब कश्मीर में मुसलमानों के बहुसंख्यक होने पर वहीं से निकाले गए चार लाख हिन्दुओं की आज के कांग्रेसी, समाजवादी व कम्युनिष्ट नेता कोई बात नहीं करते तो तुम्हारी क्यों करेंगे? एक समान कानून संहिता के विरोधी व मुस्लिम लीगियों के ‘सहयोगी नेता’ भारत पर मुगलों का अत्याचारी शासन होने पर विदेशों में जोड़े हुए अपने अरबों रुपयों के धन सहित बाहर चले जाएंगे। नोट को बदले वोट काण्ड में व विदेश में काला धन होने पर भी मोहम्मद अहमद पटेल व शाहिद बलवादी बचाये जा रहे हैं। समान कानून संहिता के विरुद्ध मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार अधिक बच्चे पैदा करने के परिणामस्वरूप साधारण जनता औरंगजेब के राज व 1947 की तरह फिर एक बार काट दी जाएगी। आज मुस्लिम व ईसाई आतंकवाद से पीड़ित भारत की इस भयंकर स्थिति में देश की रक्षा हेतु सशक्त आन्दोलन की आवश्यकता है। जैसा कि बताया जा चुका है कि देश में बढ़ते हुए आतंकवाद व 1947 जैसे अलगाववाद का कारण संविधान व उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना करके पृथक् मुस्लिम पर्सनल लॉ को मानना है। अतः सभी देशभक्त संगठनों को चाहिए कि पूर्ण बल लगाकर आन्दोलन के द्वारा सम्पूर्ण देशवासियों के हित में एक समान कानून बनाने की मांग करें। सभी संगठनों द्वारा वर्तमान की केन्द्रिय सरकार से यह अपील की जाए कि या तो वह उच्चतम न्यायालय के ‘समान न्याय संहिता’ वाले निर्णय को स्वीकार करके शीघ्र लोकसभा में बिल पास करवाए अथवा उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय को चुनौती दे।

यदि सरकार न तो उच्चतम न्यायालय के निर्णय को स्वीकार ही करती है और न ही उसका निराकरण ही करती है, तो इससे भी उच्चतम न्यायालय की अवहेलना होकर उसका अपमान ही होता है, जो कि एक राष्ट्र के लिए अत्यन्त लज्जा का विषय है। देश में बढ़ रहे पृथकतावाद, भ्रष्टाचार तथा आतंकवाद को हटाने हेतु एक ही समाधान है और वह है सबके लिए एक समान कानून व्यवस्था।

भ्रष्टाचार, आतंकवाद, लवजिहाद व काला धन बढ़ने का सबसे बढ़ा कारण है समान कानून संहिता का न होना। देश में वही वोट, आर्थिक सहायता तथा नागरिकता का अधिकारी माना जाए जो संविधान अनुच्छेद 44 के अनुसार ‘समान कानून संहिता’ को मानता हो। - आचार्य आर्यनरेश

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