समस्त भारत में इमली समान पत्र वाले २०-४० फुट ऊंचे वृक्ष पर लगने वाले पंच रेखा युक्त, कच्ची अवस्था में हरे व पकने पर कुछ पीला या लालीपन लिए, शरद ऋतू में प्राप्त फल विटामिन सी सहित अनेक विटामिन व खनिज पदार्थों का भंडार होनें के कारण रोगप्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में अग्रणी गोलाकार, खट्टे फल स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष उपयोगी है।
अग्निमांध - तीन ग्राम आँवले का चूर्ण दिन में तीन बार लेनें से भूख ठीक से लगने लगती है।
अश्मरी (पत्थरी) - तीन ग्राम आँवले के चूर्ण में पांच-दस मि.ली. मूली का रस व पांच ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम दो माह तक लगातार लेने से पत्थरी गलकर बाहर हो निकल जाती है।
आमवात (गठिया) - तीस ग्राम आँवले के चूर्ण में ५० ग्राम गुड़ व ३५० मि.ली. जल मिलाकर उबालें। १०० मि.ली. रहने पर उतार कर छान लें। इसकी दो मात्रा सुबह-शाम एक माह तक सेवन करने से गठिया में लाभ होता है।
उच्च रक्तचाप - ५० ग्राम आँवले का मुरब्बा सुबह-शाम खाली पेट खाकर २५० मि.ली. दूध पीने से रक्तचाप ठीक हो जाता है।
गर्भवती स्त्रियों के प्रातः वमन में - २५ से ५० आँवले का मुरब्बा दिन में दो बार लेने से गर्भावस्था में प्रातः वमन नहीं होता।
नेत्ररोग - एक-एक ग्राम हरड़, बहेड़ा व आँवले का चूर्ण मिलाकर रात को पानी में भिंगो दें। सुबह छानकर नेत्रों को धोने से नेत्र की लालिमा, एलर्जी, नेत्र ज्योति आदि में लाभ मिलता है।
मुख दुषिका, व्यंग झाईयां - आँवले के तीन से पांच ग्राम चूर्ण में पांच से दस मि.ली. गुलाब जल मिलाकर दिन में दो बार लेप करने से चेहरे की झाईया, कील मुहांसे आदि कुछ ही दिनों में दूर होकर चेहरा कान्तिवान हो जाता है।
मूत्रदाह - ५० मि.ली. आँवले के ताजे रस में पांच ग्राम मिश्री मिलाकर प्रातः सांय एक माह तक लगातार सेवन करने से मूत्रदाह ठीक हो जाता है।
शुक्रक्षय - एक ग्राम हल्दी तवे पर भून लें। इसमें एक ग्राम आँवले का चूर्ण व एक दो ग्राम मिश्री मिलाकर इसकी एक मात्रा सुबह खाली पेट गौदुग्ध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में शुक्र की अत्यंत वर्श हो जाती है।
श्वेत व रक्तप्रदर - स्त्रियों में ल्यूकोरिया व रक्तप्रदर अत्यंत मुश्किल से दूर होने वाली आम व्याधियां है। इसमें आँवलें का चूर्ण तीन ग्राम की मात्रा में पांच ग्राम शहद मिला कर सुबह-शाम सवा महीने सेवन करने से सफेद पानी व रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
स्वप्न दोष - ताजे ऑंवले का रस बीस मि.ली. में १० मि.ली. ठीक हो जाता है।
हैजा - तीन ग्राम ऑंवले के चूर्ण को पांच ग्राम शहद के साथ दिन में चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।
ह्रदयरोग - १.५० से ७५ ग्राम ऑंवले के मुरब्बे में एक नग शु) चांदी का वर्क लगाकर सुबह-शाम करने से हृदयरोगी को लाभ मिलता है।
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