रात को सोते-सोते अचानक सोनू के पेट में जोर-जोर से दर्द होने लगा। उस समय किसी डाक्टर को बुलाना भी सम्भव नहीं था। घर में ऐसी कोई दवा भी नहीं थी जो सोनू को दी जा सकती। तभी अचानक किसी को ख्याल आया। घर में हरड़ रखी थी। थोड़ी सी हरड़ पीसकर कुनकुने पानी के साथ उसे खिला दी। थोड़ी देर में उसके पेट का दर्द शान्त हो गया। उक्त घटना से आप हरड़ की उपयोगिता का अनुमान लगा सकते हैं कि रसोई घर में गरम मसाले के रूप में प्रयुक्त होने वाली साधारण सी हरड़ कितनी गुणकारी औषधि है। हरड़ पेट-दर्द के लिये ही नहीं, बल्कि शरीर के विभिन्न रोगों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है।
आयुर्वेद के अनुसार हरड़ एक गुणकारी, दिव्य रसायन औषधि है। हरड़ में अनेकानेक गुणों का समावेश होने के कारण इसे रोहिणी, अमृता-जीवन्ती, विजया, चेतकी, पूतना व अभया कहा जाता है। हिमालय के तराई क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली चेतकी हरड़ श्वेत रंग की होती है। इसका आकार चार से छः अंगुल तक होता है। यह हरड़ अधिक विरेचक होती है। इसे कुछ देर हाथ की मुट्ठी में बन्द कर रखने मात्र से दस्त होने लगता है। यह हरड़ अधिक उष्ण होती है। अभया हरड़ नेत्रों के लिए बहुत उपयोगी होती है। नेत्र रोगों में यह गुणकारी औषधि की तरह काम करती है। रोहिणी जाति के हरड़ रक्त विकारों से शरीर की रक्षा करते हैं।
हरड़ के गुण- हरड़ के गुणों के विषय में कहा जाता है कि जिस घर में माँ न हो उस घर में हरड़ माँ के समान बच्चे के पालन-पोषण में सहायक सिद्ध होती है। माता कभी कुपित हो सकती है, लेकिन पेट में पहुँची हरड़ कभी हानि नहीं पहुँचाती। बच्चों के उदर सम्बन्धी विभिन्न रोगों में भी हरड़ को बहुत गुणकारी माना जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के विभिन्न ग्रन्थों में हरड़ के गुणों का विस्तृत वर्णन किया गया है। यहाँ पर उसके संक्षिप्त गुणों व उपयोग का वर्णन ही प्रस्तुत है-
रक्त विकार होने पर शरीर पर छोटी-बड़ी फुन्सियाँ निकलने लगती हैं। ऐसी स्थिति में हरड़- बहेड़ा-आँवला (त्रिफला) बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। रात्रि को सोते समय 15 ग्राम चूर्ण गर्म पानी या दूध के साथ खाने से रक्त विकार शीघ्र ठीक होता है। इससे कब्ज भी नष्ट होती है। कुछ दिनों तक नियमित त्रिफला चूर्ण का उपयोग करने से नेत्र ज्योति तीव्र होती है तथा त्वचा पर निखार आता है।
नन्हें-मुन्नों के पेट में आन्त्रकृमि (चुन्ने या केंचुए) होने पर हरड़ का चूर्ण वायविडंग के साथ पीसकर गर्म जल के साथ खिलायें। आन्त्रकृमि शीघ्र नष्ट होकर शौच द्वारा बाहर निकल जाते हैं। अर्श (बवासीर) के मस्सों पर हरड़ घिसकर मोटा-मोटा लेप करने से शीघ्र लाभ होता है।
मुँह में छाले होने पर हरड़ का चूर्ण रात्रि को सोते समय गर्म दूध या पानी से खाएँ। हरड़ का चूर्ण शहद में मिलाकर जीभ से छालों पर लगाने से भी शीघ्र लाभ होता है। शहद को हरड़ के चूर्ण में मिलाकर खाने से विषम ज्वर में बहुत लाभ होता है। हरड़ का चूर्ण और कत्था बराबर मात्रा में मिलाकर दाँतों पर मंजन की तरह मलने से दाँत एकदम श्वेत होते हैं। मसूढ़ों को शक्ति मिलती है तथा उनमें लगे कीड़े नष्ट होते हैं।
हरड़ का एक गुणकारी चूर्ण बनाने की एक विधि प्रस्तुत है- हरड़ 150 ग्राम, सेन्धा नमक 10 ग्राम, चित्रक मूल की छाल 30 ग्राम, पिपली 40 ग्राम, सोंठ 50 ग्राम, अजवायन 20 ग्राम लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 4-5 ग्राम चूर्ण जल के साथ खाने से अरुचि नष्ट होती है तथा भूख अधिक लगती है। यह चूर्ण जठराग्नि को प्रदीप्त करता है।
बड़ी हरड़ का छिलका, अजवायन, सफेद जीरा बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएँ। इस चूर्ण को 3-4 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सुबह-शाम दही या मट्ठे के साथ सेवन करने से खूनी आँव मरोड़ में तुरन्त लाभ होता है। घाव को हरड़ के काढ़े से धोने पर शीघ्र लाभ होता है। हरड़ जीवाणु नाशक (एंटीसेप्टिक) होने के कारण व्रण को बढ़ने से शीघ्र रोकती है। रात्रि को वायु गोले का दर्द होने पर हरड़ गुड़ के साथ खाने पर शीघ्र लाभ होता है। वमन (उल्टी) को शीघ्र बन्द करने के लिए हरड़ का चूर्ण शहद में मिलाकर दूध के साथ उपयोग कर सकते हैं। उससे शीघ्र वमन बन्द होती है।
हरड़ का उपयोग करते समय नवीन, चिकनी, गोल और भारी देख लेनी चाहिए। इसके लिए हरड़ को पानी में डालकर देखा जा सकता है। यदि पानी में डालते ही हरड़ डूब जाए तो अच्छी है, यदि तैरती रहे तो उस हरड़ का उपयोग न करें। हरड़ में 25 प्रतिशत गैलो टैनिक अम्ल होता है। छोटी हरड़ में हरे रंग की तेलिया टाल (माइरो बैलोनीन) होती है जो अलकोहल में शीघ्र घुल जाती है। गैलो टैनिक पुराने घावों को शीघ्र ठीक करता है। खाज, खुजली, दाद होने पर हरड़ को पानी में घिसकर लगाएँ।
हरड़ का मुरब्बा- हरड़ का मुरब्बा बनाने के लिए बड़ी-बड़ी साफ हरड़ लेकर ठण्डे पानी में भिगोकर रख दें। थोड़ी देर बाद चीनी की चाशनी बनाकर हरड़ों को उसमें पकाएँ। शीतल करके मुरब्बे को शीशे के पात्र में भरकर रख लें। एक दिन रखकर दूसरे दिन फिर चाशनी में पका लें। कुछ दिनों में हरड़ का स्वादिष्ट व गुणकारी मुरब्बा तैयार हो जाएगा। वयस्क को दो हरड़ और बच्चे को एक हरड़ रात्रि को सोते समय दूध के साथ दी जा सकती है। इसके उपयोग से कब्ज, अजीर्ण, आँव, दस्त और मन्दाग्नि में बहुत लाभ होता है। सिर दर्द, गैस, पेट का दर्द अम्लपित भी नष्ट होता है।
घरेलू प्रयोग
क्या आपको भूख कम लगती है? इमली की हरी पत्तियों की चटनी एक सप्ताह तक खाइए भूख खुलकर लगने लगेगी।
खुजली हो गई है? आप नारियल के रस में थोड़ा सा गन्धक डालकर उबालिए। तेल बन जाने पर उतार लीजिए। यह तेल खुजली का नाश करता है।
सिर दर्द का सुगम इलाज यह है कि छुहारे की गुठली को पानी में घिसकर मस्तक पर लेप कीजिए। जरा देर में अवश्य आराम मिलेगा।
खूब पके हुए केले को घी के साथ खाने से पित्त बहुत शीघ्र शान्त हो जाता है।
दालचीनी और शहद
दालचीनी और शहद का प्रयोग हमारे यहाँ सदियों से होता रहा है। दालचीनी गरम मसाले का एक घटक है और शहद एक रामबाण रसायन। दालचीनी के वृक्ष श्रीलंका और दक्षिण भारत में खूब फलते-फूलते हैं। दालचीनी (सिनेमन) की छाल में कई तेल पाए जाते हैं। दालचीनी उष्ण, सुगंधित, पाचक, उत्तेजक, वातानुलोमक, वेदनाहर, व्रणशोधक, कृमिनाशक और बैक्टीरियारोधी है। यह पेट रोग, इंफ्लूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई है। इस तरह कहा जा सकता है कि दालचीनी सिर्फ गरम मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है।
शहद को कौन नहीं जानता ! मधुमक्खियों की कड़ी मेहनत का फल है शहद। कई तरह की शर्कराएँ जैसे ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सुक्रोज का भण्डार है शहद। इसके साथ ही इसमें तरह-तरह के अमीनो अम्ल और लिपिड भी मिलते हैं। शहद शीतल, स्वादिष्ट, अग्निदीपक, व्रणशोधक, वीर्यवर्धक, रेचक है और पित्त, रक्तविकार, कफ, प्रमेह तथा कृमिनाशक है। श्वास रोग, हिचकी और अतिसार में यह उपयोगी है। क्षयरोग को नष्ट करता है और सबसे खास बात यह है कि यह योगवाही है अर्थात् जिसके साथ इसका योग हो, उसका समान गुण करने वाला है।
दालचीनी और शहद के मिश्रण को सोने पर सुहागा कहा जाता है। ऐसा कौन सा रोग है, जिसका इलाज इस योग द्वारा नहीं किया जा सकता है। गठिया, दमा, पथरी, दाँत का दर्द, सर्दी-खाँसी, पेट रोग, थकान, यहाँ तक कि गंजेपन का भी इलाज इस मिश्रण के द्वारा किया जा सकता है। आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्द्धक औषधि के रूप में लम्बे समय से प्रयुक्त किया रहा है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं। जोड़ों के दर्द के लिए दो भाग गुनगुने पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिलाकर पेस्ट बना लें और दर्द वाले हिस्से पर धीरे-धीरे मलें। दो से तीन मिनट में दर्द दूर हो जाएगा। आर्थराइटिस के मरीज को हर दिन सुबह और रात को एक कप गर्म पानी में दो चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी चूर्ण लेने से लाभ मिल सकता है।
दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं।भोजन से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और भोजन अच्छे से पचता है। सर्दी के दिनों इससे अच्छा कोई घरेलू नुस्खा नहीं है। एक चम्मच गुनगुने शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पावडर मिलाकर तीन दिन तक लेने से जीर्ण कफ और पुरानी सर्दी में तो आराम मिलता ही है, साथ ही सायनस भी साफ हो जाता है। स्पेन में हुए एक शोध में पाया गया है कि शहद में पाए जाने वाले प्राकृतिक पदार्थ इंफ्लूएंजा के जीवाणुओं को मार देते हैं और मरीज फ्लू से बच जाता है।
कोलेस्ट्राल बढ़ा होना आज एक आम समस्या है। यदि दो बड़े चम्मच शहद और तीन चम्मच दालचीनी पावडर को 16 औंस चाय के पानी में मिलाकर रोगी को दें, तो खून में बढ़ा कोलेस्ट्रॉल दो घण्टे में 10 प्रतिशत कम हो जाता है। नाश्ते के पहले खाली पेट और रात में सोने से पहले एक कप पानी में दालचीनी पावडर उबालने के बाद शहद मिलाकर पीने से मोटापे में आराम मिलता है। इसे लगातार पीने से फिर से मोटापा बढ़ने की सम्भावना कम हो जाती है।
साठ की उम्र के बाद दालचीनी पावडर और शहद बराबर की मात्रा में लेने से ऊर्जा मिलती है। इस तरह के शोध से जुड़े डॉ. मिल्टन बताते हैं कि सुबह ब्रश करने के बाद और दोपहर तीन बजे के बाद हर दिन आधा चम्मच शहद एक गिलास पानी में दालचीनी पावडर बुरककर पीने से जीवन शक्ति बनी रहती है। एक्जिमा तथा अन्य चर्म विकारों में भी शहद और दालचीनी पावडर समान मात्रा में लेकर इसका पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है। जापान और ऑस्ट्रेलिया में कैंसर पर इसके असर को लेकर हुई ताजा शोध से पता चला है कि पेट और हड्डियों के पुराने कैंसर में इससे काफी लाभ मिलता है।
पेट दर्द और दाँत दर्द में भी इन दोनों का योग लाभकारी सिद्ध होता है। एक छोटा चम्मच दालचीनी पावडर और चाय के पाँच चम्मच के बराबर शहद मिलाकर बना पेस्ट दुखते दाँतों पर मलने से आराम मिलता है। दिन में तीन बार ऐसा करने से दर्द ठीक हो जाता है। बाल गिर रहे हों तो गुनगुने जैतून के तेल में एक बड़ा चम्मच शहद और एक चाय का चम्मच दालचीनी पेस्ट नहाने से पहले 15 मिनट तक सिर पर लगाए रखें। फिर सिर धो लें। - डॉ. किशोर पंवार
वैधानिक सलाह / परामर्श - इन प्रयोगों के द्वारा उपचार करने से पूर्व योग्य चिकित्सक से सलाह / परामर्श अवश्य ले लें। सम्बन्धित लेखकों द्वारा भेजी गई नुस्खों / घरेलु प्रयोगों / आयुर्वेदिक उपचार विषयक जानकारी को यहाँ यथावत प्रकाशित कर दिया जाता है। इस विषयक दिव्ययुग डॉट कॉम के प्रबन्धक / सम्पादक की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
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