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जानिए, अमेरिका कैसे झुका शिवाजी की युद्धनीति के आगे

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Shivaji America

फेसबुक पर एक पोष्ट इन दिनों काफी चर्चा है। इस पोष्ट में लिखा गया है- वियतनाम एक छोटा सा देश जिसने अमेरिका जैसे बड़े देश को झुका दिया। लगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका को पीछे हटना पड़ा। विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से जब सवाल पूछा गया कि आप युद्ध कैसे जीते और अमेरिका जैसी महाशक्ति को आपने कैसे झुका दिया? प्रश्‍न का उत्तर सुनकर आप हैरान रह जाएंगे और आपका सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शक्तिशाली अमेरिका से युद्ध के दौरान मैंने भारत के एक महान राजा का चरित्र पढ़ा। उस राजा की जीवनी से मिली प्रेरणा व उसकी युद्धनीति का प्रयोग कर हमने विजय प्राप्त की। जब उनसे पूछा गया कि कौन था वह महान राजा? वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब दिया कि ये छत्रपति शिवाजी महाराज । शिवाजी का नाम लेते समय उनकी आंखों में वीरता भरी चमक थी। वियतनामी राष्ट्राध्यक्ष ने आगे कहा कि ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हम पूरी दुनिया को जीत लेते। कुछ वर्षों के बाद राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु हुई। उसकी समाधि पर लिखा था- शिवाजी महाराज के एक शिष्य की समाधि।

कुछ वर्ष पूर्व वियतनाम की महिला विदेश मन्त्री भारत आई थीं। राजनीतिक शिष्टाचार के नाते उन्हें लालकिला तथा महात्मा गान्धी की समाधि दिखाई गई। सब कुछ देखने के पश्‍चात उन्होंने प्रश्‍न किया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि कहाँ है? उनका यह प्रश्‍न सुनकर भारतीय अधिकारी आश्‍चर्यचकित रह गए। उन्होंने कहा कि शिवाजी की समाधि तो महाराष्ट्र के रायगढ़ में है। इस पर उन्होंने कहा कि मुझे शिवाजी महाराज के समाधि स्थान जाकर शीष झुकाना है। उनकी समाधि के सामने शीष झुकाए बिना मैं मेरे देश जा ही नहीं सकती। वियतनाम की यह मन्त्री रायगढ़ गईं, वहाँ उन्होंने समाधि के दर्शन किए। रायगढ़ की मिट्टी अपनी मुट्ठी में ली और अपने बैग में रख ली। इतना ही नहीं उन्होंने मिट्टी को अपने माथे से भी लगाया। इस सन्दर्भ में जब उनसे प्रश्‍न किया गया तो उन्होंने कहा, यह शूरवीरों के देश की मिट्टी है। इसी मिट्टी में शिवाजी महाराज जैसे महान राजा का जन्म हुआ है। अब यहाँ से जाने पर मैं यह मिट्टी वियतनाम की मिट्टी में मिला दूंगी। इससे हमारे देश में भी ऐसे महान शूरवीर नायक जन्म लेंगे।

यह प्रसंग निश्‍चित ही सुखद भी है और दुखद भी। सुखद इसलिए कि हमारे महापुरुष दूसरे देशों में भी पूजे जाते हैं, दुखद इसलिए कि उनकी हमारे देश में उपेक्षा होती है, उन्हें इतिहास में लुटेरा और पहाड़ी चूहा कहा जाता है। हम आदर्श ढूंढ़ने के लिए विदेशों की ओर देखते हैं, जबकि हमारे देश में महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, सुभाषचन्द्र बोस, सरदार भगतसिंह, महात्मा गान्धी जैसे अनेकों आदर्श से मौजूद हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। शिक्षक दिवस का भी औचित्य तभी है, जब हम वास्तविकता और थोथी चमक-दमक के अन्तर को समझें।• - वृजेन्द्रसिंह झाला

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