विशेष :

राम कथा और राष्ट्रीय एकता

User Rating: 0 / 5

Star InactiveStar InactiveStar InactiveStar InactiveStar Inactive
 

Ram Katha and National Integrationराम कथा, रामायण, राम लीला, राम नवमी और विजया दशमी जैसे पर्वों और पुस्तकों के माध्यम से युग-युग से भारतीय हिन्दू जीवन को रस और दिशा मिलती रही है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। उस सच्चे महापुरुष ने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में जो मर्यादाएं स्थापित कीं, वे हिन्दुस्तान और हिन्दू राष्ट्र के मानदण्ड बन चुकी हैं। हिन्दुओं के लिए पुत्र का आदर्श राम, पत्नी का आदर्श सीता, भाई के आदर्श लक्ष्मण और भरत तथा राज्य का आदर्श राम राज्य बन चुके हैं। सभी हिन्दू नर-नारी इन आदर्शों से प्रेरणा लेते हैं और अपने जीवन को उनके अनुरूप ढालने का प्रयत्न करते हैं। हिन्दू राज्य कैसा हो इसका चित्रण राम राज्य के चित्र के आधार पर होता आया है।

राम कथा और रामायण इस प्रकार भारतीय हिन्दू जीवन मूल्यों की एक ऐसी परिकल्पना प्रस्तुत करते हैं जो हिन्दू संस्कृति और जीवन पद्धति की उत्कृष्टता सिद्ध करते हें। जो संस्कृति और जीवन पद्धति राम जैसे पुत्र, सीता जैसी नारी और लक्ष्मण तथा भरत जैसे भाईयों की कल्पना कर सकती है, वह निश्‍चित ही श्रेष्ठ है। संसार की किसी और संस्कृति तथा साहित्य में इस प्रकार के काल्पनिक चरित्र भी नहीं मिलते, वास्तविकता का तो प्रश्‍न ही नहीं। यही कारण है कि रामायण के रूप में रामकथा और रामायण के अन्य चरित्रों की कथा हिन्दुस्तान की एक महत्वपूर्ण धरोहर बन चुकी है और संसार में जहाँ कहीं भी हिन्दू हैं अथवा हिन्दू संस्कृति का प्रभाव है, वहाँ यह जीवन मूल्य वहाँ के लोगों को अनुप्राणित करते हैं। लम्बे विदेशी मुस्लिम राज्यकाल के काले युग में तुलसी के रामचरित मानस और भारत की अन्य भाषाओं में लिखित रामायण ने हिन्दू संस्कृति को बचाने और हिन्दू समाज को इस्लाम की बाढ में बहने से रोकने में जो योग दान दिया है वह कोई और पुस्तक नहीं कर सकी।

जीवन मूल्यों और संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ राम कथा ने हिन्दुस्तान की एकता को बनाये रखने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रकृति और परमात्मा ने कश्मीर से कन्या कुमारी तक और सिन्धु से ब्रह्मपुत्र और नागा पहाड़ियों तक फैले भू-भाग को एक देश बनाया। यह भूमि, जिसके विस्तार और आकार के सम्बन्ध में वायु पुराण में विस्तार से वर्णन है, हिन्दू राष्ट्र का शरीर है। इसकी आत्मा वह संस्कृति है जिसका सबसे उज्ज्वल और सर्वविदित रूप राम ने अपने जीवन से प्रस्तुत किया। यही कारण है कि हिन्दुस्तान के हर भाग में राम के नाम के साथ जुड़ी हुई स्मृतियां और स्मारक हैं। उत्तर में काश्मीर घाटी के द्वार बारामूला के निकट पहाड़ पर राम, लक्ष्मण और सीता के नाम से विख्यात कुण्ड मुजफ्फराबाद से आगे, काश्मीर और सीमाप्रान्त पर बसा हुआ नगर राम कोट रावलपिंडी और इस्लामाबाद के बीच स्थित राम कुण्ड और भारत के दक्षिण छोर पर स्थित रामेश्‍वरम और रामनाथपुरम इस बात के साक्षी है कि सारी हिन्दू भूमि में राम आत्मा के रूप में व्याप्त हैं। हिन्दुस्तान के हर प्रदेश और आंचल में, इसी प्रकार राम के नाम से जुड़े हुये, नगर-ग्राम- नदियां-चश्मे और सरोवर मिलते हैं।

राम लीला अथवा अन्य ढंगों से राम की जीवन कथा आज भी हिन्दुस्तान के गांव-गांव में, नाटक, यात्रा अथवा नृत्य के रूप में देखी और दिखाई जाती है। भारत की भौगोलिक सीमाओं के बाहर भी जहाँ-जहाँ हमारी संस्कृति का प्रसार हुआ वहाँ राम कथा भी गई। यह उत्तर पश्‍चिम में मंगोलिया और मध्य एशिया से लेकर दक्षिण पूर्व में बर्मा, श्रीलंका, थाईलैण्ड, मलेशिया, कम्पूचिया, लाओस, वियतनाम, इण्डोनेशिया इत्यादि सभी देशों में किसी न किसी रूप में वहाँ के लोगों के जीवन में व्याप्त है। इस प्रकार राम और राम कथा न केवल हिन्दुस्तान की एकता का आधार बन चुके हैं, अपितु रामकथा भारत की प्राकृतिक सीमाओं के बाहर, बाहर के विशाल भारत को भी मूलभारत से जोड़ने वाली एक प्रमुख कड़ी का काम दे रही है।

यह खेद का विषय है कि स्वतन्त्र भारत की सरकार व कर्णधारों ने राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से रामकथा के महत्व को ठीक प्रकार से न समझा है, न आंका है। एक ओर देश की एकता खतरे में है की चिल्लाहट की जा रही है और दूसरी ओर राष्ट्रीय एकता के प्रमुख स्तम्भ राम और राम कथा की उपेक्षा की जा रही है। भारत सरकार को यह समझने की आवश्यकता है कि राम किसी वर्ग अथवा सम्प्रदाय के महापुरुष नहीं, वे सारे राष्ट्र के हीरो और प्रेरणा स्रोत हैं। जो राम और राम कथा को अपनाने को तैयार नहीं, वे हिन्दुस्तान को भी नहीं अपना सकते। वे रहते भले ही हिन्दुस्तान में हों। उनकी आत्मा अन्य देशों में भटकती रहती है। जब तक उनका भारतीयकरण अथवा हिन्दुकरण नहीं होता और वे राम और रामकथा को नहीं अपनाते, तब तक उनका आचरण विदेशियों जैसा रहेगा। वे भारत अर्थात् हिन्दुस्तान में रहते हुए भी भारत अर्थात् हिन्दुस्तान के अंग नहीं बन पायेंगे।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि हिन्दुस्तान के जिस भाग में राम और राम कथा से प्रेरणा लेने वाले नहीं रहे या अप्रभावी हो गए वह भाग हिन्दुस्तान से कट गया। आज खण्डित हिन्दुस्तान के भी उन्हीं अंचलों में, चाहे वह काश्मीर हो या नागालैण्ड, अलगाव की भावना बढ रही है, जहाँ लोग ईसाइयत और इस्लाम के प्रभाव के कारण राम और राम कथा को भूलते और भूलाते जा रहे हैं। मैकालिफ ने भी जब केसधारी हिन्दुओं अथवा सिखों को हिन्दू समाज से काटना चाहा तो उसने गुरुग्रन्थ साहब से राम शब्द निकालने का कुत्सित परन्तु असफल प्रयास किया था।

राष्ट्रीय एकता का तकाजा है कि हिन्दुस्तान की एकता के मूल स्रोतों को समझा जाए और उन्हें जीवित बनाया जाये। रामकथा उन स्रोतों में प्रमुख है। इसलिये सभी राष्ट्रवादियों और हिन्दुत्ववादियों का कर्त्तव्य है कि वे रामकथा और रामलीला के राष्ट्रीय एकता को सुदृढ करने वाले स्वरूप को समझें और उसका अधिकतम प्रचार करें। वास्तव में यह कार्य शासन स्तर पर होना चाहिए। राम सही अर्थों में हिन्दुस्तान के राष्ट्र पुरुष हैं। गांधी जी के भी वही प्रेरणा स्रोत थे। गांधी जी को राष्ट्रपिता कहना लेकिन राम को भुलाना, अज्ञान और मूर्खता का सूचक है। रामनवमी राष्ट्रीय पर्व है और विजयादशमी भारत का वास्तविक सेना दिवस है। यदि राजकीय स्तर पर रामकथा का प्रचार किया जाए और रामनवमी को राष्ट्रीय पर्व तथा विजयादशमी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाए तो हिन्दुस्तान की एकता बनाए रखने में अत्यधिक सहायता मिलेगी। परन्तु यह काम तभी होगा जब हिन्दुस्तान सही अर्थों में राम राज्य अथवा हिन्दू राज्य होगा।
रामनवमी के पुनीत अवसर पर राम से प्रेरणा लेने वाले सभी राष्ट्रवादियों का कर्त्तव्य है कि वे संकल्प करें कि वे तब तक चैन नहीं लेंगे जब तक हिन्दुस्तान हिन्दू राज्य घोषित नहीं होता। हिन्दू राज्य के बिना हिन्दू राष्ट्र की बात करना निरर्थक है। राजा कालस्य कारणम् की बात शाश्‍वत सत्य है। यदि हिन्दुस्तान हिन्दू राज्य नहीं बनता तो यह हिन्दू राष्ट्र भी नहीं रहेगा। इस बात को प्रत्येक हिन्दू को समझ लेना चाहिए। - प्रो. बलराज मधोक (दिव्ययुग- अप्रैल 2019)

Ram Katha and National Integration | Indian Hindu Life | Social and Political Life | Influence of Hindu Culture | Protection of Culture | Memories and Memorials | Unity Basis | Nation's Hero and Inspiration Source | Feeling of Isolation | Christianity and Islam | Nation Men of India | News Portal - Divyayug News Paper, Current Articles & Magazine Manalmedu - Karnal - Badrinathpuri | दिव्ययुग | दिव्य युग