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सर्वनाश की जड़ शराब

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कर दे शराब खाना खराब चेहरा बेआब जैसे मुर्दा लाश हो। शराब मनुष्य को चोर, जार, जुवारी, मांसाहारी, कामी, क्रोधी, कुकर्मी, कायर, क्रूर, निर्लज्ज बना सर्वनाश के रास्ते पर ले जाकर छोड़ देती है। फिर ऐसा कौन सा पाप है जो शराबी नहीं करता, यह पापिन शराब मनुष्य के लोक परलोक को बिगड़कर मिट्टी में मिला देती है। नशे तो सारे ही मनुष्य के जीवन को बर्बाद कर देते हैं। आज का नौजवान नाना प्रकार के नशों में ग्रस्त हो रह है। वह माता पिता की सुनता ही नहीं। यह अपने लफंगे यार दोस्तों में बैठकर बीड़ी, सिगरेट, सुलफा, गांजा, स्मैक, सिगार, तम्बाखू, गुटका, नाना प्रकार की नशीली गोलियां खाता-पीता रहता है। न पढता है और नहीं कोई काम करता है। सारा दिन आवारागर्दी करता रहता है और वह मूर्ख उसी को सुख का साधन मनाता है।

जिन्हें अपने माता पिता की शर्म नहीं है, न अपने परिवार की मान मर्यादा की शर्म है, किसी बड़े छोटे की शर्म है ऐसे बेशर्म नौजवान क्या तो अपना भला करेंगे और क्या देश जाति का भला करेंगे? ऐसे जवानों का क्या हश्र होगा, किसी ने ठीक ही कहा है, ''जिंदगी बिताई महफिलों में और मौत आई मेडिकलों में''। यह हालत है आज के नौजवानों के, माता पिता सोचते थे बड़े दुःखों कष्टों से पाला है लाड़ला, यह हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा, पर आज का नौजवान माता पिता पर भार बन रहा है। इन सभी उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए माता पिता अपनी संतानों की सुशिक्षा दें या दिलाया करें और उन पर निगरानी व्यभिचारी हैं। बुरी संगत में बैठने से ही मनुष्य जीवन बर्बाद होता है। व्यसनों की लत लगी फिर वह जिंदगीभर नहीं छूटती। आपकी खून-पसीने की कमी धन, धरती, घरबार, चल अचल संपत्ति बर्बाद कर देगा और शादी के बाद एक दो बच्चे भी हो जायेंगे। घर में रोजाना लड़ाई झगड़ा मारपीट, गाली गलोच का सिलसिला चलता रहता है। आप कुछ कमाता नहीं चोरी, ठगी में नियत रखेगा और घरवाली के पैसे, जेवर, कपडे सभी को बेच देगा और अपनी अंगूठी अलमारी तक भी बेचकर शराब पी जावेगा।

फिर घर में कंगाली आ जावेगी और घरवाली से पैसे मांगता रहता है और फिर यह मजबूर होकर किसी के बर्तन साफ करती है तो किसी के कपड़े साफ करती है तभी बच्चों का पेट भरती है। पर उस बेशर्म को तो शर्म आती ही नहीं क्योंकि वह शराबी है, नशेड़ी है। इसलिए उसके घर में गरीबी, कंगाली, बरबादी, बीमारी डेरा डाले रहती है और अंत में बच्चे भूखे गलियों में नंगे पाव घूमते रहते हैं उन्हें कोई अपने पास बैठने नहीं देता, अपने बच्चों के साथ खेलने नहीं देता, ऐसी हालत बना दी शराब ने। आखिर में एक कफन का भी मोहताज हो जाता है। इसलिये सभी नशों को छोड़ और विद्वानों के बताये गये सत्यमार्ग पर चलो तभी जीवन सफल होगा। तभी जीवन सुखी होगा। दुष्ट कर्मों को छोड़ अपने आप को सुधार ले नहीं तो नर्क वही लोग भोगते हैं जो उलटे मार्ग पर चलते हैं। मानव का तन निर्बल की तन मन धन से सहायता करो, यही मनुष्य धर्म है। यही श्रेष्ठ कर्म है। तभी जीवन सफल होगा।


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