संकल्प शक्ति
यह सत्य है कि बड़ाई से मनोबल बढ़ता है और निराश मन को कुछ ढाढस मिलता है, पर यह सत्य नहीं है कि महामानवों को ऐसी किसी वैशाखी की आवश्यकता पड़ती है। वे सफलता-असफलता में भी उसी धैर्य से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं, जिस धैर्य से कार्य का शुभारंभ हुआ था। प्रशंसा की आवश्यकता सिर्फ उन्हीं लोगों को पड़ती है, जिनका मन कमजोर है। उनके अनुसार यदि मन को सशक्त बनाकर संकल्प शक्ति को उभारा जाए तो ऐसे व्यक्तित्वों पर न तो बुरे लोगों की निंदा का कोई असर पड़ सकता है और न विफलता में उन्हें प्रशंसा की आवश्यकता महसूस होती है।
It is true that pride boosts morale and gives some consolation to the depressed mind, but it is not true that great men need such a crutch. They keep moving towards their goal even in success-failure with the same patience with which the work was started. Praise is needed only by those people whose mind is weak. According to him, if determination power is raised by empowering the mind, then neither the condemnation of bad people can have any effect on such personalities nor do they feel the need of praise in failure.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...