परिणाम की दृष्टि
गिलहरी जानती थी कि रीछ-वानरों को, समुद्र पर पुल बनाने में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दे सकती। फिर भी उसने सागर में डुबकी लगाना और रेत पर लोटने के बाद फिर सागर में डुबकी लगाना जारी रखा। उसका योगदान परिणाम की सृष्टि से पहले गई। यदि अन्य लोग जो सार्वजानिक समस्याओं के समाधान के लिए घर से निकलते हैं, वे सभी ऐसा सोच लें तो संसार में सेवापरक गतिविधियाँ चलेंगी ही नहीं ? परिणाम क्या होगा, यह सोचे बिना अपनी सामर्थ्य और स्थिति के अनुसार प्रयास प्रारंभ कर देना सेवाभाव की पहली शर्त है। गिलहरी जानती थी कि रीछ वानरों को, समुद्र पर पुल बनाने में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दे सकती। योगदान परिणाम की दृष्टि से भले ही न्यून रहा हो, पर भगवान् का कार्य करने वालों में उस गिलहरी को अग्रणी स्थान मिला।
The squirrel knew that the bears and the apes could make no significant contribution to the bridge over the sea. Still he continued to take a dip in the ocean and after rolling on the sand again dipped into the ocean. His contribution went before the creation of the result. If other people who come out of the house to solve public problems, all of them think so, then there will be no service activities in the world? The first condition of service is to start efforts according to one's ability and condition without thinking about what the result will be. The squirrel knew that the bear could not make any significant contribution to the apes in building a bridge over the sea. The contribution may have been less in terms of results, but the squirrel got the leading position among those who did the work of God.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...