प्रतिगमन उपचार
मनोविज्ञान के अनुसार वर्तमान जीवन के कडुवे अनुभव के पीछे अतीत में घटी कँटीली घटनाएँ जिम्मेदार हैं। इन घटनाओं से जीवन बड़ा ही असहज हो जाता है। असहनीय दरद उठता है, जिसे न तो सहा जा सकता है और न ही निकालना संभव होता है; क्योंकि घटनाओं के अतीत में जो काँटा चुभा है, वह दरद देता है। चुभने में दरद होता है और उसे निकालने में तो दरद और बढ़ जाता है। मनोविज्ञान दरद निवारण की प्रक्रिया में इस जीवन के उस हादसे की यात्रा करता है, जहाँ यह काँटा लगता है। मनोविज्ञान की भाषा में इसे प्रतिगमन उपचार (रिग्रेजन थेरेपी) कहते हैं।
According to psychology, thorny events that happened in the past are responsible for the bitter experience of present life. These incidents make life very uncomfortable. Unbearable pain arises, which can neither be tolerated nor it is possible to remove; Because the thorn pricked in the past of events gives pain. There is pain in pricking and in removing it, the pain gets worse. Psychology travels in the process of pain relief to the accident in this life where it is a thorn. In the language of psychology, it is called regression therapy.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...