प्रकृति के नियम
तर्क कुछ भी कर लें कि क्षमा मिलती है, परंतु वह तर्क कुंद पड़ जाता है। जब हम खौलते गरम पानी में हाथ डालते हैं और कहते हैं कि एक हाथ तो ठंढे पानी में है, अतः गरम पानी से हाथ जलेगा नहीं। हाथ जलता है यह भी सच है कि ठंढे पानी में डाला गया हाथ ठंडा रहता है, परन्तु यहाँ ठंडक हाथ की जलन को कम नहीं कर पाती है। प्रकृति के नियम तोड़ते हैं तो उसके अनुरूप हमें दंड पाने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह सोचना कि ईश्वर या भगवान हमारी हर गलती को माफ कर देगा, ठीक नहीं है।
Whatever may be the argument that forgiveness is received, but that argument becomes blunt. When we put our hand in boiling hot water and say that one hand is in cold water, so hot water will not burn the hand. The hand burns It is also true that the hand put in cold water remains cool, but here the coldness does not reduce the burning sensation of the hand. If we break the laws of nature, then we should be ready to get punished accordingly. To think that God or God will forgive our every mistake is not right.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...