आत्मदर्शन
योगी अपने जीवन के चरम को पा सकता है तथा योग व अध्यात्म के शीर्ष को छू सकता है। अस्तु योगी का अंतिम लक्ष्य आत्मदर्शन ही होना चाहिए, ईश्वरदर्शन ही होना चाहिए। योगी का अंतिम लक्ष्य मोक्ष, मुक्ति व कैवल्य ही होना निहित चाहिए। ऐसा होना तभी संभव है, जब हम योगमार्ग पर अटूट श्रद्धा, भक्ति व समपर्ण के साथ 'चरैवेति, चरैवेति' का पालन करते हुए सदा चलते ही रहें, बढ़ते ही रहें, तब तक जब तक कि हम अपनी मंजिल तक न पहुँच जाएँ।
The yogi can attain the peak of his life and can touch the heights of yoga and spirituality. Astu Yogi's ultimate goal should be self-realization, God-darshan only. The ultimate goal of the Yogi should be Moksha, Mukti and Kaivalya. This is possible only when we keep on walking on the path of Yoga with unwavering faith, devotion and dedication, following 'Charaiveti, Charaiveti', keep on moving, till we reach our destination.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...