विटामिन का महत्व
विटामिन 'सी', जो पाचनसंस्थान को शक्ति और पाचनक्रिया को सक्रियता देता है; साथ ही जिसकी कमी अथवा अभाव खून को दूषित बना देता है, शरीर में निर्बलता, मसूड़ों में सूजन, दाँतों में पायरिया आदि के विकार पैदा कर देता है। यह नीबू, नारंगी, टमाटर, रसभरी आदि रस तथा सूक्ष्म अम्ल वाले फलों तथा मूली, गाजर, पालक आदि शाक-भाजियों में विशेष रूप से पाया जाता है। इनके अतिरिक्त दो विटामिन 'डी' और 'इ' भी स्वास्थ्य-रक्षा के दृष्टिकोण से आवश्यक माने गए हैं। विटामिन 'डी', जो अस्थि-अवयवों को सशक्त तथा सुडौल बनाता है; उनकी कमजोरी दूर करता है, विशेष रूप से पिली गाजर, पपीता और नारियल आदि ऐसे फलों में पाया जाता है; जिनमें कुछ-कुछ कषाय तत्व मौजूद हों। विटामिन 'ई', जो स्त्री-पुरुषों की प्रजनन-शक्ति को सुरक्षित रखता है; हरे शाकों, तजा दूध, गुड़ तथा मेवा आदि में प्राप्त होता है। किंतु ये सब विटामिन अथवा खाद्य-प्राण इन वस्तुओं से मिलते तभी हैं; जब ये अधिक-से-अधिक स्वाभाविक रूप में ही खाए जाएँ। वस्तुओं को भून डालने, तल डालने, अधिक पका डालने या मिर्च-मसाला मिलाने से यह तत्व या तो कम हो जाता है या पूरी तरह नष्ट हो जाता है।
Vitamin 'C', which gives strength to the digestive system and activates the digestive system; Along with this, the lack or lack of which makes the blood contaminated, causes weakness in the body, swelling of gums, pyorrhea in teeth etc. It is found especially in lemon, orange, tomato, raspberry juice and fruits containing micro acids and vegetables like radish, carrot, spinach etc. Apart from these, two vitamins 'D' and 'E' are also considered essential from the point of view of health-protection. Vitamin 'D', which makes bone organs strong and shapely; Removes their weakness, especially yellow is found in such fruits as carrot, papaya and coconut; In which some astringent elements are present. Vitamin 'E', which preserves the fertility of men and women; It is found in green vegetables, fresh milk, jaggery and dry fruits etc. But all these vitamins or food-life are available only from these things; When they are eaten more and more naturally. By frying, frying, over-cooking or adding chili-spice, this element is either reduced or completely destroyed.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...