स्वर्णजयन्ती
सहयोगी परस्परावलम्बन तथा शोषण पर आधारित सामूहीकरण, मानव समाज की दो सतत सक्रिय प्रवृत्तियाँ रही हैं। अनैतिकता समाज में अमानवीयता फैलाने का पहला अध्याय होती है। अतः किसी भी सजग व्यक्ति को अनैतिकता की हर आहट से सावधान हो जाना चाहिए। स्वतंत्रता का अर्थ नैतिकता की अवहेलना या फिर जीवनमूल्यों की अवमानना नहीं है। स्वाधीनता के उत्साह के साथ-साथ यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस प्रभाव का लाभ उठाकर कहीं अवांछनीय दुष्प्रवृत्तियाँ ही छुट्ट्ल न हो जाएँ। इस सम्बन्ध में समुचित सतर्कता न बरतना ही वह कारण है, जिसकी वजह से स्वतन्त्रता आंदोलन की सफलता व उपलब्धियाँ स्वर्णजयन्ती की आभा के बावजूद धूमिल व कलंकित हो रही हैं।
Socialization based on co-operative interdependence and exploitation have been two continuously active tendencies of human society. Immorality is the first chapter of spreading inhumanity in the society. Therefore, any conscious person should be wary of every hint of immorality. Freedom does not mean disregard of morality or contempt of life values. Along with the enthusiasm of independence, it should also be kept in mind that by taking advantage of this effect, unwanted bad tendencies may not get released. Not taking proper vigilance in this regard is the reason, due to which the success and achievements of the freedom movement are getting tarnished and tarnished despite the aura of Golden Jubilee.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...