गायत्री महाशक्ति
व्यापक बाह्य जगत् में भी देव शक्तियाँ विद्यमान हैं, परंतु उनके लिए विश्व की देख-भाल का विस्तृत कार्यक्षेत्र नियत रहता है। व्यक्ति की भूमिका के अनुरूप प्रतिक्रिया उत्पन्न करने, सफलता और वरदान देने का कार्य वे उसी अंश में पूरा करती हैं, जो बीज रूप में हर व्यक्ति के भीतर विद्यामन है। सूर्य का अंश आँख में मौजूद है। यदि आँखें सही है, तो ही विराट सूर्य के प्रकाश से लाभ उठाया जा सकता है। अपने कान ठीक हों तो ही सुमधुर संगीत का आनंद उठा पाना संभव हो पाता है। अपने भीतर सन्निहित देव शक्तियों के बीज यदि विकसित एवं परिष्कृत हों तो उनके माध्यम से विश्वव्यापी दिव्य शक्तियों के साथ संबंध जोड़ना, गायत्री महाशक्ति की साधना - उपासना इसी प्रक्रिया को सरल बनाती है।
The divine powers are also present in the wider external world, but for them the wide field of care of the world remains fixed. According to the role of the person, they accomplish the task of generating response, success and blessings in the same part, which is the knowledge within every person in the seed form. Part of the sun is present in the eye. If the eyes are right, then only the light of the vast Sun can be benefited. It is possible to enjoy melodious music only if your ears are right. If the seeds of the divine powers embodied within themselves are developed and refined, then through them to connect with the universal divine powers, the sadhna-worship of Gayatri Mahashakti simplifies this process.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...