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वर्तमान का अस्तित्व 
राजा परीक्षित को जब यह पता चल गया कि मृत्यु आज से सातवें दिन बाद है, तो उस समय का उन्हें सदुपयोग किया, पुरे होश-हवश के साथ उन्होंने सात दिन तक तत्वज्ञानी सुकदेव जी से भागवत कथा सुनी और सातवें दिन ही वे मृत्यु को स्वीकार कर जीवन्मुक्त हो गए। यह वास्तविकता है कि मृत्यु की घटना हर समय जीवन के साथ घटित हो रही है। इस संसार में अगर किसी का अस्तित्व है तो वह वर्तमान का है। जो भी हो रहा है, अभी हो रहा है। जिस क्षण व्यक्ति का जन्म होता है, उसी क्षण से वह मरने भी लगता है। यदि इसी क्षण जीवन है, तो इसी क्षण मृत्यु भी साथ-साथ है। ये दो किनारे हैं और उनके बीच जीवन की सरिता इसी क्षण बह रही है।

When King Parikshit came to know that death is after the seventh day from today, he made good use of that time, with full consciousness, he listened to the Bhagwat Katha from the philosopher Sukdev ji for seven days and on the seventh day he accepted death. Taxes became free. It is a fact that the phenomenon of death is happening with life all the time. If anyone exists in this world, it belongs to the present. Whatever is happening, is happening now. The moment a person is born, from that moment he also starts dying. If there is life at this very moment, then at this very moment death is also together. These are two banks and the stream of life is flowing between them at this very moment.

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  • स्वाध्याय की आवश्यकता

    स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और  संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...

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