ब्रम्हविद्या
प्राचीनकाल में जिन्हें भी तत्वदर्शी लोग ब्रम्हविद्या का अनुदान देते थे, उनकी यह परीक्षा अवश्य कर लेते थे कि यह इस विभूति के धारण करने का पात्र भी है या नहीं ? तांत्रिक उपासना का प्रथम सोपान यही है कि साधक के साहस और धैर्य की परीक्षा कर ली जाए। डरपोक प्रकृति के व्यक्ति तंत्रशक्ति को धारण नही कर सकते। जो उनमें असफल हुआ, उसे तंत्रशक्ति के अवतरण से वंचित रहना पड़ा।
In ancient times, whoever the philosophers used to give the grant of Brahmavidya, they must have tested them whether they are also eligible to hold this Vibhuti or not? The first step of Tantric worship is to test the courage and patience of the seeker. People of fearful nature cannot possess the power of Tantra. The one who failed in them had to be deprived of the descent of Tantra Shakti.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...