धन की शक्ति
धन की शक्ति सर्वविदित है। लोलुपों की दृष्टि से धन को न देखा जाए और इस दृष्टि से इसका मूल्यांकन किया जाए कि जीवन की दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति, धनबल के बिना संभव नहीं है तो धनबल का सच्चा अर्थ निकलकर आता है। रोटी, कपड़ा, मकान से लेकर शिक्षा, व्यापार, आपदा, इलाज इत्यादि के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। धन-उपार्जन के लिए अनेक मार्ग प्रचलन में हैं। इनमें से स्वयं की योग्यता व रूचि को ध्यान में रखते हुए धनार्जन के पथ का चयन किया जाए, परंतु साथी ही ध्यान यह भी रखा जाए कि धन की शक्ति का अर्जन, न्यायोचित तरीके से ही किया जाए।
The power of money is well known. Wealth is not seen from the point of view of gluttony and it is evaluated from the point of view that fulfillment of daily needs of life is not possible without money power, then the true meaning of money power comes out. Money is needed for bread, clothes, house to education, business, disaster, treatment etc. There are many ways to earn money. Out of these, keeping in mind one's own ability and interest, the path of earning should be selected, but the companion should also keep in mind that the acquisition of the power of money should be done in a just way.
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स्वाध्याय की आवश्यकता बार बार पाठ करने से ही सिद्धान्त की जानकारी होती है। सरसरी निगाह से देखने पर कुछ पता नहीं लगता। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि का अनेक बार गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना होगा, अन्यथा कमजोरी ही बनी रहेगी। जैसे एक छात्र किसी विषय को ध्यान से नहीं पढता, तो वह विषय उसके लिये दुरूह बना रहता है। कठिन और...